प्रतापगढ़

बच्चों को सताने लगा मम्पस,बरतें सावधानी

बच्चों को सताने लगा मम्पस,बरतें सावधानी सीएमएचओ डाॅ जीवराज मीणा ने जारी किए आदेश

प्रतापगढ़। बच्चों को गलसुआ (मम्पस) अपनी गिरफ्त में लेने लगा है। पिछले एक पखवाड़े से अस्पताल में प्रतिदिन गलसुआ से पीड़ित लगभग 5-6 बच्चे पहुंच रहे हैं। इसको लेकर जिला कलक्टर डाॅ अंजलि राजोरिया ने स्वास्थ्य विभाग को जागरूक और उपचार की पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए है।
मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ जीवराज के अनुसार गलसुआ एक वायरल इंफेक्शन है, जो आसानी से फैलता है और शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। किसी भी तरह के वायरल इंफेक्शन को बढ़ाने में तापमान की महत्ती भूमिका रहती है। ऐसे में छोटे बच्चे इंफेक्शन के शिकार जल्द हो जाते हैं। इन दिनों गर्मी के कारण एक से दूसरे बच्चे में यह वायरल इंफेक्शन आसानी से पहुंच रहा है। गलसुआ मुख्य रूप से लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है, जो कान और जबड़े के बीच में प्रत्येक गाल के पीछे स्थित होती हैं। गलसुआ लार ग्रंथियों की सूजन और दर्द का करण बनता है। इस बीमारी में बच्चे के चेहरे पर एक साइड से सूजन शुरू हो जाती है, जो उपचार नहीं कराने की स्थिति में दूसरे हिस्से तक पहुंच जाती है। इसका असर 6-7 दिन तक रहता है।

मम्पस के कारण एवं लक्षण

इसका मुख्य कारण मम्पस वायरस है और यह संक्रमित लार, छींकने या खांसने तथा संक्रमित व्यक्ति के साथ बर्तन साझा करने के माध्यम से एक से दूसरे में आसानी से फैलता है। इसके लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर वायरस से संपर्क के बाद 14 से 18 दिनों में होती है। रोग से प्रभावित होने पर हल्के लक्षण देखने को मिलते हैं। इनमें बुखार, उल्टी, गालों पर सूजन दिखाई देना, सिरदर्द, भूख लगना, कमजोरी, चबाने और निगलने में दर्द होना आदि शामिल हैं।

यह बरतें सावधानी

यह एक वायरल संक्रमण है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श लें। करीब एक सप्ताह में यह रोग समाप्त हो जाता है। डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवा लेने से इससे होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। इसके अलावा रोगी को पूरा आराम कराना चाहिए तथा नरम आहार लें, ताकि अधिक चबाना नहीं पड़े। तरल पदार्थों का सेवन करें, खट्टे फल खाने से बचे। वहीं रोग को फैलने से रोकने के लिए रोगी को अलग रखना घरेलू उपचार में शामिल है।

बीमारी की रोकथाम
एमएमआर(मीजल्स-मम्पस-रुबैला) टीकाकरण गलसुआ को रोकने के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी प्रक्रिया है।इसके लिए बच्चे को एमएमआर की दो खुराक दी जाती है।

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