जिले के 1 लाख 67 हजार सिकलसेल-एनिमिया की जांच शुरू

सिकल सेल एनिमिया की किट पहुंची, प्रथम चरण में स्कूलों में जांच
प्रतापगढ़। सिकल सेल से पीड़ित रोगियों की अब जांच संभव हो सकेगी। इसके लिए जरूरी किट जिले के स्वास्थ्य महकमें को मिल चुके है। मंगलवार से स्कूलों में जांच भी शुरू कर दी गई है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वीडी मीना ने बताया कि भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा वर्ष 2047 तक देश से सिकल सेल को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जिला कलक्टर डॉ अंजलि राजोरिया के विशेष प्रयासों से सिकल सेल एनिमिया के लिए जरूरी जांच किट जिले को मिल चुके है। ऐसे में मंगलवार को शहर के सीमावर्ती एकलव्य मॉडल रजिडेंसी स्कूल टिमरूवा तथा आवासीय बालक छात्रावास में चिकित्सा विभाग की ओर से जांच हेतु शिविर आयोजित किया गया। जिसमें 800 बच्चों की जांच की गई है। जनजातीय समुदाय के बीच एनीमिया और सिकलसेल जैसी गंभीर बीमारी जड़ जमाए हुए हैं। गौरतलब है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से इस अभियान की शुरुआत एक सकारात्मक कदम है।
क्या है सिकल सेल एनिमिया
एनीमिया-सिकल सेल हीमोग्लोबिन पैथी लाल रक्त कोशिकाओं का एक अनुवांशिक रोग है। इसमें मुख्य रूप से सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया शामिल है। सिकलसेल-एनीमिया ऐसा रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं जल्दी टूट जाती है। इसके कारण एनीमिया और अन्य जटिलताएं जैसे कि वेसो-ओक्लुसिव क्राइसिस, फेफड़ों में संक्रमण, एनीमिया, गुर्दे और यकृत की विफलता, स्ट्रोक आदि की बीमारी और यहां तक की पीड़ित के मौत तक की आशंका रहती है।
1,67,000 हजार की होनी है जांच
आरसीएचओ डॉ जदगीप खराड़ी ने बताया कि चिकित्सा निदेशालय द्वारा जिले में 1 लाख 67 हजार लोगों की जांच की जानी है। इनमें 0 से लेकर 40 साल तक की आयु वर्ग वाले समूह शामिल है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में आवासीय स्कूलों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से जांच की जाएगी। इसके लिए भारत सरकार की ओर से जांच हेतु टीमों का प्रशिक्षित किया गया है।