विश्व प्रसिद्ध थेवाकला में महाराणा प्रताप की जीवनी पर बनी कलाकृति अमूल्य धरोहर

प्रतापगढ़। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की थेवा कला विश्व में प्रसिद्ध है यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हितेश राजसोनी ने इस बारे हमें बताया कि देवगढ़ रियासत काल में 17वीं शताब्दी में राजसोनी परिवार के पूर्वज नाथू राजसोनी द्वारा सर्वप्रथम इस कला की शुरुआत की थी उसके पश्चात पारंपरिक राजा महाराजाओं द्वारा इस कला के विकास में सहयोग प्रदान किया गया एवं आने वाले अतिथियों को थेवा कलाकृतियां उपहार में देकर इस कला को बढ़ावा दिया गया। इस विशिष्ट कार्य के लिए पारंपरिक सोनी परिवार को राजसोनी की उपाधि से अलंकृत किया गया। इसी थेवाकला में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जीवनी पर बनी कलाकृति विश्व के लिए अमूल्य धरोहर है प्रतापगढ़ के वरिष्ठ थेवा कलाकार लक्ष्मीनारायण राजसोनी द्वारा इस कलाकृति का निर्माण किया गया था। इसमें एक फिट गोलाई की यह बनी हुई है एवं कुल 33 थेवा कलाकृति के पीस को आपस में जोड़ा गया है जिसमें महाराणा प्रताप के जीवन काल एवं मेवाड़ के भौगोलिक एवं सांस्कृतिक परिचय को कांच के ऊपर सोने की कारीगरी के रूप में दर्शाया गया है। प्रतापगढ़ की विश्व प्रसिद्ध थेवाकला यह सिर्फ एक कला नहीं यहां की विरासत भी है प्रतापगढ़ के प्रत्येक नागरिक की पहचान है एवं सभी का यह कर्तव्य है की यह सुरक्षित एवं संरक्षित रहे एवं अपने मूल और वास्तविक स्वरूप जिसमें कांच के ऊपर सोने का कार्य हो उसी रूप में रहे यह प्रतापगढ़ के नागरिको के लिए गर्व एवं सम्मान का विषय है। इसी क्रम में प्रतापगढ़ के राजसोनी परिवार के कई युवा थेवा कलाकार इस कला में पूरी मेहनत व लगन के साथ लगे हुए हैं।