प्रतापगढ़

“संवैधानिक अधिकार एवं सम्मानजनक जीवन” जिला स्तरीय परिचर्चा का आयोजन

 

प्रतापगढ़। सामाजिक सुरक्षा परियोजना के अंतर्गत संवैधानिक अधिकार एवं सम्मानजनक जीवन विषय पर जिला स्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें जिला एवं ब्लॉक स्तर के विभिन्न विभागों के अधिकारियों, अधिवक्ता, संस्था संगठनों के पप्रतिनिधि एवं गांव के सक्रिय व्यक्तियों सहित कुल 73 संभागों में भाग लिया।
जिला स्तरीय परिचर्चा का शुभारंभ दिनेश यादव एवं मांगीलाल मीणा के गीत मैं तुमको विश्वास दूं तुम मुझको विश्वास दो से किया गया।
उपस्थित संभाग्यों का स्वागत जिला समन्वयक जवाहर सिंह डागुर अपने स्वागत उत्पादन में बताया कि भारत का संविधान है और उसे संविधान में मनुष्य जीवन जीने के लिए जीने का अधिकार दिया है आज यह परिचर्चा संवैधानिक अधिकार एवं सम्मानजनक जीवन के लिए चुनौतियां और संभावित समाधान हेतु आवश्यक पहल और सफल प्रयासों पर आयोजित की जा रही है । पर चर्चा में भाग लेने वाले सभी समाधियों का स्वागत किया।
चित्तौड़गढ़ से आए सामुदायिक स्वास्थ्य वैज्ञानिक एवं प्रयास सलाहकार डॉ नरेंद्र गुप्ता ने अपने उद्बोधन में बताया कि सन 1947 से पहले हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था इसके साथ-साथ राजतंत्र व्यवस्था लागू थी। जिसमें शासन करने वाले अपने हिसाब से राज करते थे उस दौर में अंग्रेजों को अपना शासन चलाने के लिए पढ़े-लिखे लोगों की आवश्यकता होने के कारण भारतीय युवाओं को शिक्षित किया और उच्च शिक्षा के लिए पश्चिमी देशों में भी भेजा गया।,जहां पर भारतीय युवाओं को लोकतंत्र के महत्व के बारे में पता चला उसके बाद विदेश से भारत में आने के बाद यहां पर स्वतंत्रता के लिए आंदोलन किए और प्रजातांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रयास किया सन 1947 में आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया जिसमें न्यायपालिका कार्यपालिका केंद्र एवं राज्य स्तर पर त्रिस्तरीय ढांचा विकसित किया गया जिसमें देश के सभी आम नागरिकों को एक समान मताधिकार का हक दिया गया। राजतंत्र में असमानताओं के विरुद्ध प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सभी को समानताओं के आधार पर अवसर प्रदान करने के कानून बनाए गए। सभी को शिक्षा का अधिकार दिया गया परंतु आज भी असमानताएं व्याप्त हैं, अतः समस्याओं के समाधान के लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। संविधान को सभी को पढ़ने एवं समझना चाहिए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक टी आर आमेटा ने अपने उद्बोधन में बताया कि संविधान में जो अधिकार दिए हैं उनको पहुंचाने की जिम्मेदारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की है। हम जिस पद पर हैं हमारा कर्तव्य बनता है कि हम हमारी जिम्मेदारी पूर्ण करें, हर पदाधिकारी की समय एवं स्थान के अनुसार भूमिका बदलती है। लोगों को एकल नारी, वृद्धावस्था, विशेष योग्यजन, पालनहार योजनाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है।
जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़ के पीएमओ ओपी दायमा ने कहा कि नि:शुल्क दवा नि:शुल्क जांच योजना से पहले भर्ती मरीजों में लकवा, दुर्घटना वाले रोगी ही भर्ती होते थे किंतु इस योजना के बाद उपचार करने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई है। बीपी, शुगर के रोगी बहुत ज्यादा हो गए हैं। इसमें व्यक्ति अपनी अनियमित खान पान व दिनचर्या के कारण बीमार हो रहा है। मानसिक रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है, जिसका उपचार अब जिला चिकित्सालय में हो रहा है। इसकी दवाइयां आ रही है जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क जांच योजना के तहत दो लैब संचालित हैं जहां पर निरंतर जांच की जा रही है।
बार एसोसिएशन से आए एडवोकेट मुकेश नागदा पूर्व अध्यक्ष, शांतिलाल आंजना पूर्व अध्यक्ष एवं श्री शकील अहमद ने अपने उद्बोधन में बताया कि कर्तव्य अधिकार एक दूसरे के पूरक हैं सरकार ने गरीब व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए विधिक सहायता केंद्र की स्थापना की है, जिसमें व्यक्ति बिना कोई फीस दिए कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है। आज हर कोई व्यक्ति कोर्ट कचहरी थाना से बचना चाहता है, आजकल विवाह समारोह अथवा अन्य आयोजनों में लोग शराब पीकर तेज गति से वाहन चलाते हैं। कोर्ट कचहरी के कारण जिसकी गलती ना हो उसको सजा मिल जाती है। समाज में एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए, संविधान में सभी को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिया है। हम देखते हैं कि आज भी लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है।
राजीविका के जिला परियोजना प्रबंधक भेरूलाल मीणा में बताया कि संविधान से पहले भी एक संविधान था, जिसे मनु ने लिखा था जिसमें कई त्रुटियां थी, आजादी के बाद बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में उन कमियों को दूर कर सभी को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया सबको समानता का अवसर दिया।
गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर जी पी पाटीदार ने अपने उद्बोधन में बताया कि संविधान में समानता का अधिकार है, यदि कोई आपसे कुछ मांगता है और आप देते हैं तो आप में देने का अभिमान नहीं होना चाहिए। संविधान में सभी को मताधिकार का हक दिया है जिसमें अमीर गरीब सभी का मत समान है। समाज में हर व्यक्ति को अपना दायित्व समझना है और कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचना है। यदि सभी पढ़े लिखे होंगे तो कोई अनावश्यक फायदा नहीं उठा सकता महात्मा गौतम बुद्ध ने भी कहा था कि अपना दीपक आप स्वयं बन तो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो , किसी के सामने मांगना नहीं पड़ेगा। अतः सभी को शिक्षित होना आवश्यक है एवं संविधान को पढ़ना चाहिए।
गायात्री सेवा संस्थान की सुश्री पूजा, साइड सेवर्स इंडिया से विजय शर्मा, सृष्टि सेवा संस्थान के समन्वयक लक्ष्मण रावल, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के राजू , ग्राम पंचायत पाल सरपंच संगीता मीणा, पेसा गांव सभा गोठड़ा के अध्यक्ष रंजीत मीणा ने भी अपने विचार व्यक्त कर लोगों को संवैधानिक अधिकार एवं सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार के प्रति जागरूक किया।
जिला स्तरीय परिचर्चा में प्रयास के फूल शंकर शर्मा, नारायण लाल सालवी, सीमा राठौर, मंजू कुमारी मीणा, का सहयोग रहा।

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