इंदौर

भ्रष्टाचार मामले में इंदौर स्पेशल कोर्ट ने सुनाई सजा​​​​​​​

डिप्टी कलेक्टर की पत्नी, बेटी, दामाद और समधन की 1.28 करोड़ की संपत्ति सरकार के खाते में होगी जमा

इंदौर की स्पेशल कोर्ट ने शाजापुर के तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी, उनकी पत्नी, बेटियों और रिश्तेदार की 1.28 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति राजसात करने के आदेश दिए हैं। मामला आय से अधिक संपत्ति का है। लोकायुक्त ने 2011 में केस दर्ज किया था।

कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी (64), उनकी पत्‍नी सुषमा, बेटी अंजलि, सोनालिका, प्रीति, सरिता, प्रमिला और रेखा वर्मा पति भरत कुमार वर्मा (सोनालिका की सास) और दामाद अजय वर्मा की संपत्ति राजसात की जाएगी। हुकुमचंद सोनी और उनकी बेटी प्रमिला का निधन हो चुका है।

विशेष न्यायाधाीश गंगाचरण दुबे ने शनिवार को दिए आदेश में टिप्पणी की है, ‘भ्रष्‍टाचार समाज के लिए खतरनाक है। भ्रष्‍ट आचरण प्रभावित व्‍यक्ति के जीवन पर्यंत और मृत्‍यु के बाद भी उसके कार्यों से दिखाई देता है। ऐसा कृत्‍य निंदनीय होकर उदारता के योग्‍य नहीं होता है। मछली पानी में रहते हुए कब पानी पीती है या नहीं पीती है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उसी प्रकार सरकारी सेवक सेवा के दौरान कब अपने पद का दुरूपयोग कर सकता है या नहीं, इसका अंदाजा लगाना भी कठिन होता है।’

भ्रष्टाचार कर बनाई बेनामी संपत्ति

लोक अभियोजक पद्मा जैन ने बताया कि लोकायुक्‍त उज्‍जैन ने 2011 में डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी के खिलाफ भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। इसमें सोनी द्वारा अर्जित 1.77 करोड़ रु. की राशि मध्‍य प्रदेश शासन के खाते में जमा करने के लिए एक आवेदन पत्र धारा 13(1) के तहत स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। इस शिकायत का उज्जैन डीएसपी ओपी सागोरिया द्वारा सत्यापन कराया तो मामला सही पाया।

इसमें पाया गया कि हुकुमचंद सोनी द्वारा अपने अधिकारों का अवैध लाभ अर्जित कर पत्‍नी व बेटियों के नाम पर मकान, प्‍लॉट, वाहन आदि खरीदकर लगातार भ्रष्‍टाचार किया गया। इस तरह अपने आय के ज्ञात साधनों से अधिक की संपत्ति एकत्र की गई।

क्लर्क से डिप्टी कलेक्टर तक रहे

मामले की सूचना भोपाल मुख्‍यालय भेजकर स्पेशल कोर्ट शाजापुर से 20 जुलाई 2011 को सर्च वारंट लेकर छापा मारा गया। इसके साथ ही इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं में केस दर्ज कर मामला जांच में लिया गया।

जांच में पता चला कि आरोपी हुकुमचंद सोनी की पहली नियुक्ति निम्‍न श्रेणी लिपिक के रूप में 19 नवम्बर 1975 को तराना में हुई थी। इसके बाद रिटायर्ड होने तक पदस्थापना उज्जैन के राजस्व विभाग में अलग-अलग स्थानों पर रही। इसी कड़ी में विभागीय परीक्षा पास करने के बाद नायब तहसीलदार, तहसीलदार एवं डिप्‍टी कलेक्‍टर के पद पर प्रमोशन हुआ। इस अवधि के दौरान उनकी आय अपने स्त्रोतों से 356.96% ज्यादा पाई गई।

मामले में उज्जैन लोकायुक्त ने विवेचना पूरी कर चालान कोर्ट में पेश किया। अभियोजन द्वारा आवेदन कर निवेदन किया गया कि प्रभावित व्‍यक्तिगण द्वारा अर्जित आय से अधिक संपत्ति 1.28 करोड़ रु. की चल- अचल संपत्ति मध्‍यप्रदेश शासन के खाते में जमा की की जाए। इस पर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया।

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