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पंचायत सचिव कमलेश धाकड़ का घिनौना खेल बेनकाब: सुवाखेड़ा में फर्जी भुगतान, 33 किमी दूर से खरीदी के जरिए सरकारी धन की लूट

सुवाखेड़ा, 29 मई 2025: चौथा समय मीडिया हाउस की साहसिक और गहन जांच ने सुवाखेड़ा ग्राम पंचायत में हुए सनसनीखेज घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें पंचायत सचिव कमलेश धाकड़ द्वारा फर्जी भुगतान और 33 किलोमीटर दूर की फर्म से खरीदी के जरिए सरकारी धन की लूट का खुलासा हुआ है। इस खुलासे ने ग्रामीण प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर कर दिया है, और पारदर्शिता की मांग को और भी तेज कर दिया है। चौथा समय की विशेष जांच में सामने आया कि कमलेश धाकड़ ने फर्जी बिलों और जाली दस्तावेजों के जरिए लाखों रुपये के भुगतान को अंजाम दिया। ये भुगतान कथित तौर पर ऐसी सामग्रियों और सेवाओं के लिए किए गए, जो कभी खरीदी ही नहीं गईं। जांच में पाया गया कि सचिव ने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों को नजरअंदाज कर 33 किलोमीटर दूर बर्डियाजागीर में स्थित फर्म, बंशीलाल कुमावत, से खरीदी दिखाई। इस फर्म का केवल कागजों पर मौजूद होने का अनुमान है, और इसके पते की प्रामाणिकता पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

मामले को और गंभीर बनाता है यह तथ्य कि पंचायत के पोर्टल पर बिलों के स्थान पर वाउचर अपलोड किए गए, जो अनियमितताओं को छिपाने का एक सुनियोजित प्रयास प्रतीत होता है। चौथा समय ने इन वाउचरों की गहन जांच की, जिसमें कई भुगतानों के लिए कोई भौतिक साक्ष्य या खरीदी का रिकॉर्ड नहीं मिला। इस फर्जीवाड़े ने ग्राम पंचायत के विकास के लिए आवंटित धन को भारी नुकसान पहुंचाया है।

चौथा समय के इस खुलासे ने प्रशासन को तत्काल कार्रवाई के लिए मजबूर किया। एक विशेष जांच दल गठित किया गया है, जो सभी लेनदेन, वाउचरों और दस्तावेजों की बारीकी से जांच करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “चौथा समय द्वारा उजागर किए गए इस घोटाले ने हमें सतर्क किया है। हम इस फर्जीवाड़े के हर पहलू को उजागर करेंगे और दोषी को कठोर सजा दिलाएंगे। “इस खुलासे ने स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया है। एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “हमारा पैसा गांव के विकास के लिए था, लेकिन इसे लूट लिया गया। इस तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” ग्रामीणों ने मांग की है कि पंचायत स्तर पर निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी लूट को रोका जा सके।

चौथा समय की इस साहसिक पत्रकारिता ने न केवल कमलेश धाकड़ की करतूत को बेनकाब किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि सतर्क मीडिया भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी हथियार हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर निगरानी और जवाबदेही की कमी ने इस तरह के घोटालों को बढ़ावा दिया है। इस खुलासे ने ग्रामीण प्रशासन में पारदर्शिता और सख्ती की आवश्यकता को और स्पष्ट कर दिया है।

पंचायत सचिव कमलेश धाकड़ को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा कर उनके खिलाफ विभागीय जांच के साथ-साथ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कि जाना चाहिए। जांच एजेंसियां बंशीलाल कुमावत फर्म और फर्जी वाउचरों के पूरे नेटवर्क को उजागर करने में जुटी हैं, ताकि इस घोटाले की पूरी सच्चाई सामने आए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

चौथा समय का यह खुलासा सुवाखेड़ा के लिए एक चेतावनी है और यह दर्शाता है कि साहसिक पत्रकारिता भ्रष्टाचार को उजागर करने में कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। इस मामले में और खुलासों का इंतजार है, क्योंकि जांच अपने चरम पर पहुंच चुकी है।

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