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पंचायत भवन में सचिव पर जानलेवा हमला, अब गांवों में सचिव नहीं रहे सुरक्षित, काम करना हुआ मुश्किल

             नीमच। सरकार की व्यवस्थाओं में मुख्य धारा बनकर ग्रामीण अंचल को सिंचित करने वाले पंचायत कर्मी सचिव सरकार के असंतुलित सुविधाओं का दंश झेलने के साथ ही अब रसूखदारों के डर के साये में अपनी जान हथेली पर लेकर पंचायत में काम करने को मजबूर है। जनपद पंचायत जावद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत गुर्जर खेड़ी सांखला में कार्यरत पंचायत सचिव रमेशचंद्र धाकड़ को ऐसे ही एक आकस्मिक घटना का सामना अपनी जान को गिरवी रख करना पड़ा।

31 जनवरी 2025 शुक्रवार को ग्राम पंचायत गुर्जर खेड़ी सांखला में कार्यरत पंचायत सचिव रमेश चंद्र धाकड़ पंचायत भवन में ही भूलेख केवाईसी कर रहे थे तभी गुर्जर खेड़ी निवासी मुरलीदास पिता बंशीदास बैरागी पंचायत भवन पहुंचा और भूलेख केवाईसी को लेकर कहासुनी करने लगा, पलक झपकते ही 56 वर्षीय पंचायत कर्मी सचिव रमेचंद्र धाकड़ पिता मांगीलाल धाकड़ निवासी ग्राम सरवानिया मसानी पर आकस्मिक जानलेवा हमला कर दिया जिससे पंचायत सचिव गंभीर रूप से घायल हुए लेकिन लोगों के बीच बचाव से उनकी जान बच गई। सचिव को जिला चिकित्सालय भर्ती कराया गया है और वह उपचाररत है।

सूचना मिलते ही पंचायत सचिव संगठन के सदस्य एवं पुलिस जिला चिकित्सालय पहुंच गई। पंचायत सचिव संगठन ने आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की और कहां कि जब तक आरोपी गिरफ्तार नहीं हो जाता पंचायत में कामकाज बंद रहेगा। पुलिस प्रशासन ने घायल सचिव के बयान और प्रत्यक्षदर्शियों के आधार पर आरोपी मुरलीदास को गिरफ्तार कर शासकीय कार्य में बाधा, मारपीट, जानलेवा हमला व अन्य धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आरोपी अपने मकान की केवाईसी कराने आया था लेकिन पटवारी की उपस्थिति नहीं होने पर आरोपी सचिव से विवाद करने लगा और देखते ही देखते इस घटना को अंजाम दे दिया।

जहां एक तरफ ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का स्तर कम है वहीं दूसरी ओर रसूखदारी, राजनीति, जागीरदारी का नशा चरम पर है, जिसके चलते कुछ लोग अपनी धाक जमाने के लिए गांव से लेकर बड़े अधिकारियों तक दबंगई दिखाते हैं इसके बदले पंचायतों में ना कुछ बातों से बड़े-बड़े मामले बन जाते हैं जिसका खामियाजा गांव में होने वाले विकास व आवश्यक कार्यों में बाधा के रूप में ग्रामीणों को झेलना पड़ता है। जिले की पंचायत में पिछले एक दशक में ऐसे कई मामले देखने और सुनने में आए हैं, और आज भी कई गांव की दुर्दशा ऐसे ही लोगों की वजह से बिगड़ी हुई है।

राजनीति में बात-बात पर विधायकों की धोंस जमाने वाले पंचायत में सरपंच बनकर या किसी को बनाकर गांवों में राज करने का ख्वाब संजोए रखने वाले राजनीतिक रसूखदार भी इसका सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि इनको अपने नेताओं की चापलूसी से कानून की शह मिली हुई है। न्यूनतम वेतन और नाम मात्र सुविधाओं पर सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र में सभी मौसम में बिना समय सीमा अपनी सेवा देने वाले पंचायत सचिव इसी तरह अपनी जान हथेली पर रखकर असुरक्षित, तनाव, डर के साथ परिवार का पालन पोषण कर रहा है।

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